सोमवार, 11 जनवरी 2021

#satlok

सर्व प्रथम केवल एक स्थान ‘अनामी लोक‘ था। पूर्ण परमात्मा उस अनामी लोक में अकेला रहता था। उस परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है। सभी आत्माऐं उस पूर्ण धनी के शरीर में समाई हुई थी।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी 

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