मंगलवार, 23 जून 2020
jagannath
🏕️एक बार कबीर परमेश्वर जी वीर सिंह बघेल के दरबार में चर्चा कर रहे थे। अचानक से परमात्मा ने खड़ा होकर अपने लोटे का जल अपने पैर के ऊपर डालना प्रारम्भ कर दिया। सिकंदर ने पूछा प्रभु! यह क्या किया, कारण बताईये। कबीर जी ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ के मन्दिर में एक रामसहाय नाम का पाण्डा पुजारी है। वह भगवान का खिचड़ी प्रसाद बना रहा था। उसके पैर के ऊपर गर्म खिचड़ी गिर गई। यह बर्फ जैसा जल उसके जले हुए पैर पर डाला है, उसके जीवन की रक्षा की है अन्यथा वह मर जाता।
रविवार, 21 जून 2020
बुधवार, 17 जून 2020
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी
पवित्र बाईबल के उत्पत्ति ग्रंथ पृष्ठ 1 से 3 में लिखा है कि परमेश्वर ने 6 दिन में सृष्टि की सातवें दिन सिंहासन पर विराजमान हो गए। फिर आगे बाईबल में काल का जाल शुरू हो गया और सबको काल ने अपने जाल में फंसाने के लिए परमेश्वर के ज्ञान में मिलावट कर दी।
शनिवार, 13 जून 2020
jaindharam
ऋषभदेव निवस्त्र रहने लगे थे क्योंकि उनको अपनी स्थिति का ज्ञान नहीं था। वे परमात्मा के वैराग्य में इतने मस्त हो चुके थे कि उनको ध्यान ही नहीं था कि वे नंगे हैं। वर्तमान के जैनी महात्माओं ने वह नकल कर ली और नंगे रहने लगे। यह मात्र परंपरा का निर्वाह है। जैन धर्म में दो प्रकार के साधु रहते हैं। एक तो वह जो बिल्कुल नंगे रहते हैं और पूर्व के महापुरूषों की नकल कर रहे हैं। जैन धर्म की स्त्री, पुरूष, युवा लड़के-लड़कियां, बच्चे-वृद्ध सब उन नग्न साधुओं की पूजा करते हैं। इनको दिगम्बर साधु कहा जाता है। इनमें स्त्रियों को साधु नहीं बनाया जाता। विचारणीय विषय यह है कि क्या स्त्रियों को मोक्ष नहीं चाहिए ? यदि आपका मार्ग सत्य है तो स्त्रियों को भी पुरुष जैन दिगम्बरों की तरह नग्न रह कर मोक्ष प्राप्ति करने दी जाए । सच्चाई को न मानकर मात्र परंपरा का निर्वाह करने से परमात्मा प्राप्ति नहीं होती। दूसरे साधु श्वेताम्बर हैं। वे सफेद वस्त्र, मुख पर कपड़े की पट्टी रखते हैं। इसमें स्त्रियां भी साधु हैं। #Jincredibles #shyerajain
बुधवार, 10 जून 2020
kabirji
💠गीता अध्याय 07 श्लोक 12 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म कह रहा है कि तीनों देवताओं द्वारा जो भी उत्पति, स्थिति तथा संहार हो रहा है इसका निमित्त मैं ही हूँ।
परन्तु मैं इनसे दूर हूँ। कारण है कि काल को शापवश एक लाख प्राणियों का आहार करना होता है। इसलिए मुख्य कारण अपने आप को कहा है तथा काल भगवान तीनों देवताओं से भिन्न ब्रह्म
लोक में रहता है तथा इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में रहता है। इसलिए कहा है कि मैं उनमें तथा वे मुझ में नहीं हैं।
शुक्रवार, 5 जून 2020
kabirjayantj
🎊ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार।
मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।
गुरुवार, 4 जून 2020
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी
शास्त्र प्रमाणित ज्ञान
जिस बात को सर्वप्रथम कबीर जी ने कहा कि परमात्मा साकार है, नराकार है। आज उसी बात को संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्म ग्रंथों से प्रमाणित करके बता दिया कि परमात्मा/अल्लाह साकार है, राजा के समान दर्शनीय है, सिंहासन पर बैठा है।
#1DayLeft_KabirPrakatDiwas
kabirjayanti
परमेश्वर कबीर साहेब जी ने ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता का ज्ञान कराया तथा उनकी उत्पत्ति बताई।
कबीर साहिब ने ही सतलोक का ज्ञान दिया।
मंगलवार, 2 जून 2020
kabir ji ki dya
कबीर साहेब द्वारा सर्वानंद को शरण में लेना
पंडित सर्वानंद ने अपनी माँ से कहा कि मैंने सभी ऋषियों को शास्त्रार्थ में हरा दिया है तो मेरा नाम सर्वाजीत रख दो लेकिन उनकी माँ ने सर्वानंद से कहा कि पहले आप कबीर साहेब को शास्त्रार्थ में हरा दो तब आपका नाम सर्वाजीत रख दिया जाएगा। जब सर्वानंद कबीर साहेब के पास शास्त्रार्थ करने पहुँचे तो कबीर साहेब ने कहा कि आप तो वेद-शास्त्रों के ज्ञाता हैं मैं आपसे शास्त्रार्थ नहीं कर सकता। तब सर्वानंद ने एक पत्र लिखा कि शास्त्रार्थ में सर्वानंद जीते और कबीर जी हार गए। उस पर कबीर साहेब जी से अंगूठा लगवा लिया। लेकिन जैसे ही सर्वानंद अपनी माँ के पास जाते तो अक्षर बदल कर कबीर जी जीते और पंडित सर्वानंद हार गए ये हो जाते। ये देखकर सर्वानंद आश्चर्य चकित हो गए और आखिर में हार मानकर सर्वानंद ने कबीर साहेब की शरण ग्रहण की।
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