🥁परमात्मा का मगहर से सशरीर सतलोक गमन पंडितों ने गलत मान्यता फैलाई थी की कि काशी में मृत्यु होने से मुक्ति मिल जाती है और मगहर में मृत्यु होने से गधा बनते हैं। लेकिन कबीर साहेब का मानना था कि अगर काशी में ही मुक्ति होती है तो जीवन भर राम-नाम जपने और ध्यान-साधना करने की क्या आवश्यकता। इसलिए कबीर साहेब काशी से मगहर जा पहुँचे।
मंगलवार, 29 जून 2021
शनिवार, 26 जून 2021
kabir shahib prakat diwas
📯कबीर परमात्मा कुंवारी गाय का दूध पीते हैं
सन् 1398 में शिशु रूप में अवतरित कबीर परमेश्वर जी ने 25 दिन तक कुछ नहीं खाया-पिया। लेकिन ऐसा स्वस्थ शरीर था जैसे प्रतिदिन 9 किलो दूध पीते हों। 25 दिन की उम्र में कबीर साहेब लीला करते हुए कहते हैं कि मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूं। नीरू एक बछिया लाया तब शिशु रूपी कबीर परमात्मा कुंवारी गाय का दूध पिया।
गरीब, दूध न पीवै न अन्न भखै, नहीं पालने झूलन्त।
अधर अमान धियान में, कमल कला फुलन्त।।
अन ब्यावर को दूहत है, दूध दिया तत्काल।
रविवार, 20 जून 2021
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🐚कबीर परमेश्वर के संविधान अनुसार उनका कृपा पात्र संत ही धरती पर मानव उद्धार करने के लिए प्रकट होता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही कबीर परमेश्वर के अधिकारी संत हैं। उनसे तीन चरणों में प्राप्त किए गए नाम मंत्र से भक्तों के पाप कर्म व कष्ट पूर्णतः मिट जाते हैं।
शुक्रवार, 18 जून 2021
Ganpati
🎩मिथक-
कबीर साहेब कलयुग में आये तो वे परमात्मा नहीं हो सकते।
सच्चाई-
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) वेदों के ज्ञान से भी पूर्व सतलोक में विद्यमान थे तथा अपना वास्तविक ज्ञान (तत्वज्ञान) देने के लिए चारों युगों में भिन्न-भिन्न नामों से स्वयं प्रकट होते हैं। सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं।
"सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनींद्र मेरा।
मंगलवार, 15 जून 2021
#lord
🏹परमात्मा के शरीर में कीलें ठोकने का व्यर्थ प्रयत्न
कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन शेखतकी ने सिपाहियों को आदेश दिया कि कबीर साहेब को पेड़ से बांधकर शरीर पर बड़ी-बड़ी कील ठोक दो। लेकिन जब कील ठोकने चले तो सिपाहियों के हाथ-पैर काम करना बंद हो गए और वो वहाँ से भाग गए और शेखतकी को फिर परमात्मा कबीर साहेब के सामने लज्जित होना पड़ा।
शनिवार, 12 जून 2021
बुधवार, 9 जून 2021
#kabir prakat diwas
📚कबीर सागर अध्याय "जीव धर्म बोध" पृष्ठ 1960 में कबीर जी ने धर्मदास जी को गुरु के लक्षण बताये हैं कि
गुरु के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म वानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चार गुरु गुन जानों मर्मा।।
शनिवार, 5 जून 2021
supreme God
600 वर्ष पूर्व काशी में अवतरित हुए परमेश्वर
कबीर जी ने बताया
गुण तीनों की भक्ति में भूल पड़ो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना कैसे उतरो पार ।।
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